एसडी पीजी कॉलेज पानीपत महाविधालय प्रांगण में माँ सरस्वती एवं महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा का लोकार्पण.

admin  4 weeks ago Top Stories

-सुन्दर काण्ड पाठ और अनुष्ठान के माध्यम से विद्यार्थियों और समस्त मानव जाति के कल्याण की मंगलकामना की गई 

-माँ सरस्वती के चैतन्य स्वरूप से महाविधालय के समस्त शिक्षण कार्य को आशीर्वाद प्राप्त हो ऐसी मंगलकामना की गई 

-जीवन की सभी समस्याओं का निदान, घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास सुन्दर काण्ड पाठ एवं धार्मिक अनुष्ठानों में निहित है: रोशन लाल मित्तल, मुख्य अतिथि 

-युगपुरुष, समाजवाद के प्रवर्तक एवं करुणामयी स्वभाव के मालिक महाराजा अग्रसेन हम सभी के सच्चे पथ प्रदर्शक है: रोशन लाल मित्तल, मुख्य अतिथि

PANIPAT AAJKAL , 20 अप्रैल, एसडी पीजी कॉलेज पानीपत महाविधालय प्रांगण में माता सरस्वती एवं महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा के लोकार्पण हेतू भव्य समारोह का आयोजन किया गया । विदित रहे कि एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) जिसकी 9 शिक्षण संस्थाओं में लगभग 25 हज़ार से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है का प्रशासनिक कार्यालय एसडी पीजी कॉलेज में स्थित है और इसीलिए माँ सरस्वती और महाराज अग्रसेन की प्रतिमा को कॉलेज प्रांगण में स्थापित करने का पावन निर्णय लिया गया । इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतू आज सर्वप्रथम माँ सरस्वती की प्रतिमा को सम्पूर्ण मान और पूजा विधि के साथ कॉलेज के नव-सुसज्जित प्रशासनिक भवन के प्रवेश द्वारा के सामने स्थापित किया गया ताकि कॉलेज के हर शिक्षक, विद्यार्थी एवं आगुन्तक को माँ सरस्वती का आशीर्वाद मिले और उन पर ज्ञान की फौहार बरसती रहे । माँ सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है और उनमें विचारणा, भावना एवं संवेदना का त्रिविध समन्वय है । वीणा संगीत की, पुस्तक विचारणा की और हंस-वाहन कला की अभिव्यक्ति के प्रतीक है । लोक चर्चा में सरस्वती को शिक्षा की देवी माना गया है । 

माँ सरस्वती की प्रतिमा के ठीक सामने प्रशासनिक भवन के भीतर महाराजा अग्रसेन की प्रतिमा भी स्थापित की गई है जिसे प्रकाश और अन्य प्रकार के साधनों के माध्यम से पूरी तरह से सजाया गया है । महाराजा अग्रसेन जिन्हें समाजवाद का प्रणेता कहा जाता है की प्रतिमा का अनावरण भी पुरे विधि-विधान के साथ किया गया ।  महाराजा अग्रसेन ने सच्चे और आदर्श समाजवाद की स्थापना के लिए ‘एक ईंट और एक सिक्के’ का नियम प्रतिपादित किया था जिसका उद्देश्य शहर में बसने वाले हर नए मेहमान की ह्रदय से मदद करना और उसे अपना व्यापार स्थापित करने में सहायता करना था ।

दोनों प्रतिमाओं के लोकार्पण के उपरान्त सुन्दर काण्ड पाठ और अनुष्ठान के माध्यम से विद्यार्थियों और समस्त मानव जाती के कल्याण की कामना की गई जिसका दायित्व देवी मन्दिर पानीपत से पधारे आचार्य लाल मणि पाण्डेय ने निभाया । सुन्दर काण्ड पाठ में उनका भरपूर साथ आचार्य विवेक पाण्डेय और पंडित रितेश शुक्ल ने दिया ।       

आज के कार्यक्रमों का उदघाटन मुख्य अतिथि श्री एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) के संरक्षक रोशन लाल मित्तल ने किया । अतिविशिष्ट अतिथि एसडी इंटरनेशनल स्कूल से चेयरमैन पवन गर्ग रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) से सचिव नरेश कुमार गोयल ने की । इस अवसर पर सोसाइटी के विभिन्न संस्थानों के पदाधिकारियों एवं माननीय सदस्यों ने कार्यक्रम में पधारकर इसकी शोभा बढाई । विशिष्ट अतिथि के रूप में एसडी विद्या मंदिर हुड्डा से सतीश चंद्रा चेयरमैन, तुलसी सिंगला सचिव, एसडीवीएम सिटी से रघुनन्दन सरूप गुप्ता चेयरमैन, अभय सिंगला वाईस-चेयरमैन, श्रीकृष्ण अग्रवाल ऑडिटर, एसडी इंटरनेशनल स्कूल से पवन गर्ग चेयरमैन, दीपक सिंगला वाईस-चेयरमैन, राम लाल सिंगला ऑडिटर, एमएएसडी पब्लिक स्कूल से सुरेन्द्र कुमार वाईस-चेयरमैन, एपीट एसडी इंडिया से उमेश कुमार अग्रवाल चेयरमैन, एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से प्रमोद कुमार बंसल प्रधान, फ़क़ीर चंद मैनेजर, सूरज प्रकाश गुप्ता ऑडिटर, एसडी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज से अमित जिंदल ऑडिटर, सदस्य योगेश्वर, दिनेश सिंगला उपस्थित रहे । इनके अलावा डॉ अन्नू गुप्ता प्राचार्य एसडीवीएम हुडा और डॉ शिवानी कंडोला प्राचार्य एसडीवीएम सिटी भी कार्यक्रम का हिस्सा बनी । माननीय मेहमानों का स्वागत कॉलेज प्रधान दिनेश गोयल, उप-प्रधान राजीव गर्ग, जनरल सेक्रेटरी महेंद्र अग्रवाल, कोषाध्यक्ष विशाल गोयल और प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने किया । तत्पश्चात माननीय मुख्य अतिथि रोशन लाल मित्तल के कर कमलों से दीप प्रज्वलन और आचार्य लाल मणि पाण्डेय की अगुआई में कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई और माँ सरस्वती और महाराजा अग्रसेन की प्रतिमाओं का लोकार्पण किया गया । 

आचार्य लाल मणि पाण्डेय ने सुन्दर काण्ड के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में कई तरह के सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं । प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी भक्त के मन की मुराद पूरी करते हैं । हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले हर तरह के कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं । 21 दिनों तक सुंदरकांड का पाठ रोजाना करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा हमारे और हमारे परिवार पर बनी रहती है । साथ ही इससे व्यक्ति को अपनी जीवन में चल रही सभी समस्याओं का हल मिल जाता है । हनुमान जी की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है । शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है । शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष ही महत्त्व होता है ।  

रोशन लाल मित्तल संरक्षक श्री एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) ने कहा कि  महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का प्रणेता कहा जाता है क्योंकि उन्होनें ही एक सही और आदर्श समाजवाद की स्थापना के लिए यह नियम बनाया था कि अगर उनके राज्य में बाहर से कोई भी व्यक्ति या मेहमान बसने के लिए आता है तो राज्य का हर एक परिवार नए व्यक्ति को एक ईट और एक सिक्का देगा जिससे वह व्यक्ति अपना मकान बना सके और अपना व्यापार शुरू कर सके । इसी कारण उनके राज्य में कोई न तो गरीब था और न ही लाचार । आधुनिक समाजवाद के प्रणेता माहाराज अग्रसेन ही है और उनका यह सिद्धांत आज भी कायम है और इसी कारण उन्हें एक बहुत बड़े समाजवादी के रूप में देखा जाता है । उनकी प्रतिमा को कॉलेज प्रांगण में स्थापित करने का मकसद भी यही है कि उनके बताये मार्ग पर चलने की प्रेरणा हर विद्यार्थी को मिले । 

नरेश कुमार गोयल सचिव एसडी एजुकेशन सोसाइटी (रजि.) ने कहा कि महाराजा अग्रसेन को युगपुरुष, समाजवाद के प्रवर्तक और उनके करुणामयी स्वभाव के लिए युगो-युगो तक याद किया जाएगा । वह क्षत्रिय समाज के राजा बल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे । उस समय लोगों के द्वारा पशु-पक्षियों की बलि दी जाती थी जो उनको पसंद नहीं थी । इसी की वजह से उन्होंने अपने क्षत्रिय धर्म को छोड़कर वैश्य धर्म को अपना लिया था । महाराजा अग्रसेन हर युवा और समाजवादी व्यक्ति के आदर्श है ।

दिनेश गोयल कॉलेज प्रधान ने कहा कि महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवन में हमेशा अपने विचारों और कर्तव्यनिष्ठा के बल पर समाज को एक नई दिशा दिखाई । महाराजा अग्रसेन के कारण ही आज समाज में व्यापार के महत्व को व्यापारी वर्ग के लोगों ने समझा । इसी कारण महाराजा अग्रसेन के नाम पर हमारी सरकार ने बहुत सी जगहों पर अस्पताल, स्कूल, कॉलेज उनके नाम पर ही बनवाए हैं । बेशक उनका जन्म क्षत्रिय परिवार में हुआ लेकिन उन्होनें देश-धर्म को अपनाकर अपनी प्राथमिकता को सबके सामने रखा । महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र थे और उन सभी पुत्रों को 18 यज्ञों का संकल्प दिलाया गया । इस संकल्प को 18 ऋषियों के द्वारा पूरा गया गया और इन ऋषियों के आधार पर ही अग्रवाल समाज के 18 गोत्र की उत्पत्ति हुई और अग्रवाल समाज का निर्माण हुआ । उन्होनें कहा कि मनुष्य को अपना जीवन इस तरह से बनाना चाहिए कि उसको मौत से पहले ही धरती पर स्वर्ग लगे । महाराजा अग्रसेन को पशु-पक्षियों से अत्यधिक प्रेम था और इसीलिए उन्होंने पशुओं की बलि को रोककर नए समाज का निर्माण किया । वे आज भी हमारे लिए आदर्श व्यक्तित्व है ।

डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि देवी सरस्वती का स्वरूप निर्मल चांद के समान है और उनके मुख पर कांति व्याप्त है । माता स्वेत और पीत वस्त्रों को धारण करती हैं । मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता को ही देवी सरस्वती का रूप माना जाता है । ब्रह्मचारिणी माता के रूप में देवी सरस्वती पीत वस्त्र धारण करती हैं । वैसे आमतौर पर माता सरस्वती को स्वेत वस्त्रों को धारण किेए ही हर प्रतिमा और तस्वीरों में दिखाया जाता है । माता कमल पर और हंस पर विराजमान होती हैं और अपने चतुर्भुज रूप को धारण कर वीणा की मधुर ध्वनि झंकृत करती हैं । माता की वीणा की इसी ध्वनि से सृष्टि में सभी जीव-जंतुओं पर प्रकृति में स्वर गूंजता है । भगवान ब्रह्माजी और देवी सरस्वती दोनों ही हंस की सवारी करते हैं । देवी ने हंस को अपना वाहन इसलिए चुना क्योंकि इसमें सच और झूठ की सच्ची परख होती है । यह पक्षियों में ज्ञानी है और निर्मल श्वेत वर्ण का होता है जो देनी सरस्वती के गुणों से मेल खाता है । यह ज्ञान के  मोतियों को चुगने वाला पक्षी है जो आनंद का भी प्रतीक है । देवी सरस्वती की प्रतिमा को कॉलेज प्रांगण में स्थापित करके हर छात्र-छात्र में सकारात्मकता और ज्ञान का संचार होगा ऐसी उन्हें पूर्ण उम्मीद है । 

इस अवसर पर सुन्दर काण्ड पाठ में समस्त टीचिंग और नॉन-टीचिंग के स्टाफ सदस्यों ने हिस्सा लिया और पाठ की समाप्ति के पश्चात छात्र-छात्राओं को भी प्रसाद वितरित किया गया ।

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